Shashikant Bhagat: A Memory of My Beloved Mother's Death Anniversary DOD: March 20, 2012. तेरी याद आती है माँ जब-जब भी मन की तस्वीरों में तुझको देखता हूँ माँ तब-तब तेरी याद बहुत आती है माँ वो बचपन की याद जब तुम अपने हाथों से खाना खिलाती थी गुस्सा आता था तब प्यार से आँखे दिखाती थी कभी बबुआ कह के बुलाती थी तो कभी बचवा कह के बुलाती थी अब तो कोई नहीं कहता है माँ, तब-तब तेरी याद बहुत आती है माँ कभी भूखा लगती थी तो दौड़ के तेरे पास आता था माँ अब तो भूख लगती है तो ढूंढता हूं कहाँ हो माँ तब-तब तेरी याद बहुत आती है माँ बोल तो रही थी की तेरे साथ रहूँगी बस यही अंतिम इच्छा है मेरी तुझे मन की तस्वीरों मे रखा है माँ लेकिन जब-जब तुझे ध्यान से देखता हूँ माँ तब-तब तेरी याद बहुत आती है माँ तू छोड़ गई इस माया के संसार में मुझे अकेला माँ मैंने तो अभी-अभी ही अपने को संभाला आज भी तेरे सिवा कोई नहीं हैं दुनिया मेरा कौन पोछेगा मेरे आंसू जब भी तेरी याद् में रोया तो कौन देगा अपने आँचल की छा
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