फिल्म रसास्वाद का मेरा अनुभव

पूना की पावन धरती एक बार फिर बुलाई है।
भारत सरकार की दुहाई है की हम सबको यहाँ मिलाई है। 

NFAI और FTII की चुनाई फिर एक बार रंग लाई है। 
Film Appreciation Course ने हम सबकी हिम्मत जगाई है। 

यूं मिलना-बिछड़ना तो किस्मत के कलाई की लिखाई है। 
फिर बिछड़ के मिलना तो फिल्मों की करिश्माई है। 

इंद्रनील की अगुआई है तो गायत्री की सिनेमा में गवाई है। 
समर के जबरदस्त जादुई फिल्मों की पढ़ाई है। 

चक्रबोर्ती के चतुर 'मीसो सेन' की चुनाई है। 
गांगुली के गुगली टाइम एंड स्पेस की धुनाई है। 

ज़नकर की झनक फिर आज सुनाई है। 
लेकिन सनी ने भी सिनेमेटोग्राफी दिखाई है। 

हरिहरन के पॉपुलर सिनेमा की हवा-हवाई है। 
तो विश्वनाथन की अपनी ही बड़ाई है। 

छाबरिया ने तस्वीरों की प्रदर्शनी बताई है। 
रेअलिस्म इन इंडियन सिनेमा में बिस्वास ने अपनी भरोसा जताई है। 

माथुर की एडिटिंग मैं एडवांस मथाई है। 
विधार्थियों ने तन्मय की क्लास में गुल्ली लगाई है। 

इरा के अर्पण में new Indian cinema पर संशोधन हुई है। 
लेकिन मनो या ना मनो गौरी की सिनेमा में क्या लिखाई है। 

साथियों पंकज ने भी अपनी राग सुनाई और गवाई है। 
लाइब्रेरी NFAI और FTII की archive है। 

शर्मा से administrative दोस्ती बढ़ाई है। 
जोशी की मुश्कान में जादुई मलाई है। 

लेंस-साइट रेडिंग मटेरियल भी दिलाई है। 
सलाम फिल्मों की सलामी लगाई है। 

दीपांकर के दीप ने attendance की लाज बचाई है। 
सोनकर के कंट्रोल में साउंड सिस्टम की रख-रखाई है। 

चायवाला भी चलती क्लास में दरवाजा खट-खटाई है। 
हॉस्टल के पनाहों में हमसब ने अपने को रखवाई है। 

मेस ने हमारी भूख मिटाई है। 
बाद में सबने अपनी तरह से पार्टी मनाई है। 

ऐसे ही सबके दिलों में प्यार के घरोंदा बनाई है। 
आज विदाई है तो क्या हुआ दोस्तों, इसी में तो हमसब की भलाई है।

खुश रहो, नाराज़ न हो,क्योंकी अब हम FAC के alumnai है। 
धन्यवाद, जय हिन्द, जय भारत। …… 
                                                 - Shashikant Bhagat

Comments

Popular posts from this blog

PR & Its growth in India: ASSOCHAM Survey

इसीलिए तो चौथी जागीर है मीडिया